परदेस में हम छठिया मनाइले
साथी-संघातियाके संग मनवा भूलाइले
बाँकी याद आवे गउवाके
छठी घाट और पोखरिया
अब त् बोलाइली हे छठी माइ
हमके अपन दुवरिया।
|१|
रही-रही भुखे दिने-दुपहरिया
करेली चाची-माइ राउरे पबनिया
याद आवे खर्नाके खिर और पुरिया
अब त् बोलाइली हे छठी माइ
हमके अपन दुवरिया।
|२|
मुडवा पर रखिके अरघके टोकरीया
सब केहू साथ चले घाट व किनारिया
वडा सुन्दर घाटवाके झिलमिल दियरिया
परदेस में निंद नाआवे राउर पुजन रतिया
अब त् बोलाइलि हे छठी माइ
हमके अपन दुवरिया ।
|३|
याद आवे भतिजा संगे फुल-झरिया उडावे
चाची माइ भौजिके संगे कोशी भरावे
फोनवा पर कहेली छोटकी भतिजिया
तोहरा बिन निमन ना लागे कवनो पवनिया
अब त् बोलाइलि हे छठी माइ
हमके अपन दुवरिया ।
|४|
भोरे-भोरे सुरुज उगीहे पूरव के ओरिया
छठी माइ बिदा होइये देइके अरघिया
वडी याद आवेला छठि माइ के प्रसाद
सब केहु घाटपे खईहे ठेकुवा-केसार
अब त बोलाइलि हे छठी माइ
हमके अपन दुवरिया ।
|५|
विनोद शाह,
कलैया-२, दोहरी, बारा, नेपाल
हाल: न्युयोर्क, अमेरिका
अगस्त २२, २०२१
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